‘ग्लोबल’ होते हिन्दी शब्द...
हमारी भाषा और संस्कृति को भी एक सम्माननीय दर्जा प्राप्त हुआ है। हमारी आधिकारिक भाषा हिन्दी के साथ-साथ कई भारतीय भाषाओं के शब्दों को अँगरेजी व अन्य विदेशी भाषाओं में सम्मानीय दर्जा प्राप्त हुआ है। यहाँ...
View Articleहिन्दी के लिए देखे गए सपनों की गाथा..
कहते हैं जिस भाषा में हम स्वप्न देखते हैं या जिस भाषा में अपना दुःख व्यक्त करते हैं वही हमारी अपनी भाषा होती है। उसी भाषा में व्यक्त की गई संवेदनाएँ हमारे अंतर्मन को गहराई से छू सकती हैं
View Articleहिन्दी के सामूहिक सम्मान का सवाल
इधर कुछ दिनों से हिन्दी दिवस आते-आते तो कुछ सवाल कुछ अधिक ही तकलीफ देने लगते हैं। कुछ सवाल ये हैं कि हमारी हिन्दी अंततः दोयम दर्जे की भाषा कैसे हो गई है? हिन्दी, हिन्दी समाज और हिन्दी किताब को आखिर...
View Articleसाहित्य के क्षेत्र में देय पुरस्कार
साहित्य के क्षेत्र में हो रहे सृजनात्मक कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार ने साहित्य अकादमी संस्था की स्थापना की। 12 मार्च 1954 में स्थापित इस संस्था की ओर से 22 भाषाओं में...
View Articleहिन्दी के लिए जब बुर्के को त्यागा
पर्दानशीं महिलाओं के बीच बैठकर और बोहरा समुदाय की होने के बावजूद एक महिला ने हिन्दी की जिस तरह सेवा की, वह हिन्दी प्रेमियों के लिए प्रेरणादायी है। ये महिला थीं श्रीमती बानू बेन अब्बासी...
View Articleअनेक भाषाओं की खूशबू से रची-बसी- हिन्दी
हिन्दी, भाषाई विविधता का एक ऐसा स्वरूप जिसने वर्तमान में अपनी व्यापकता में कितनी ही बोलियों और भाषाओं को सँजोया है। जिस तरह हमारी सभ्यता ने हजारों सावन और हजारों पतझड़ देखें
View Articleअपने घर में कब तक बेगानी रहेगी हिन्दी?
हिन्दी उस बाजार में ठिठकी हुई-सी खड़ी है, जहाँ कहने को सब अपने हैं, लेकिन फिर भी बेगाने से... इस बेगानेपन की टहनियों से भी उम्मीद की कोपलें फूट रही हैं। क्योंकि हिन्दी बोलने और समझने वालों की संख्या में...
View Article'जाओ, अगले 14 सितंबर को आना!'
मैं सड़क से गुजर रहा था तो मैंने देखा कि एक बुढ़िया जोर-जोर से रो रही थी। उसकी कराह तथा दुर्दशा को देखकर मेरा भारतीय मन संवेदनशील हो उठा। मैंने उसे सांत्वना के बहाने दो शब्द कहे तो वह फफककर रो
View Articleहिन्दी को 'खास' नहीं 'आम' तक पहुँचाना चाहते थे नेहरू
हिन्दी को जन-जन की भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने में हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हिन्दी को राजभाषा का दर्जा देने का निर्णय यूँ तो सरकारी स्तर...
View Articleहिन्दी के समकालीन संकट
हिन्दी का सबसे बड़ा संकट उसे मातृभाषा के रूप में बोलने वालों द्वारा अपनी अस्मिता से न जोड़ने का है। एक चलताऊ फिकरा चलन में है कि भाषा कैसी भी हो, संप्रेषण...
View Articleभारत में बढ़ता अँग्रेजी का चलन...
जब हमारा देश स्वतंत्र हुआ था तब हमने सोचा था कि हमारे आजाद देश में हमारी अपनी भाषा, अपनी संस्कृति होगी लेकिन यह क्या? अँग्रेजों से तो हम स्वतंत्र हो गए पर अँग्रेजी ने हमको जकड़ लिया
View Articleइन्हें है हिन्दी से प्यार
यहाँ आकर यह पहली भार हिन्दी से परिचित हुईं। पहली नजर के प्यार की तरह नतालिया को हिन्दी के सरस उच्चारण से प्यार हो गया...फिर क्या था वे नतालिया से नायिका बन गई....
View Articleहिन्दी इनकी नजर में
महात्मा गाँधी : कोई भी देश सच्चे अर्थो में तब तक स्वतंत्र नहीं है जब तक वह अपनी भाषा में नहीं बोलता। राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूँगा है। काका कालेलकर : यदि भारत में प्रजा का राज चलाना है तो वह
View Articleहिन्दी फिल्मों के अँग्रेजी नाम
फिल्मों के नाम पढ़कर एक ऐसा व्यक्ति जो फिल्मों के बारे में ज्यादा नहीं जानता हो, सोचेगा कि यहाँ हम अँग्रेजी फिल्मों की चर्चा करने जा रहे हैं
View Articleहिन्दी दिवस या हिन्दी डे
कुछ दिनों पहले एक परिचित को घर पर रात्रिभोज के लिए आमंत्रित किया। वे अपनी बीवी, चार वर्षीय बेटी और एक- डेढ़ साल के बेटे के साथ घर पर पधारे
View Articleहिन्दी दिवस क्यों मनाएँ हम ?
तालियों की गड़गड़ाहट, शुद्ध हिन्दी में कविता पाठ, हिन्दी के भविष्य को लेकर लंबी-लंबी परिचर्चाएँ, हर वर्ष हिन्दी दिवस के दिन पूरे देश का लगभग यही माहौल रहता है। स्कूल-कॉलेजों में बच्चों के हाथों...
View Articleअपने ही घर में बेगानी हूँ
अपने ही घर में बेगानी हूँ अपने ही लोगों के बीच जाने-पहचाने लोगों में लगता है कि अनजानी हूँ
View Articleमत बोलो हिन्दी
‘हमारे स्कूल में हिंदी बोलना मना है। इसलिए आजकल मैं हमेशा अँग्रेजी में ही बात करती हूँ। अगर बोलने की प्रैक्टिस छूट गई तो फिर स्कूल में परेशानी आ जाएगी
View Articleजब भाषाओं की दीवारें और भाषाई अवरोध हट जाएँगे
कभी ऐसा परिपूर्ण साफ़्टवेयर सुलभ हो जायेगा जो तमाम भाषाओं का परस्पर अर्थ करके अनुवादित कर जोड़ सके और त्वरित संप्रेषण भी हो तो हमारे भारत का समृद्द् भारतीय दर्शन और संस्कृति अन्य भाषाई क्षेत्रों /देशों...
View Articleभारत में आरती हिन्दी की और तिलक अँग्रेजी का
त्रिभाषा-सूत्र का तीसरा सूत्र काफी खतरनाक है। अँगरेजी को अनिवार्य रूप से पढ़ाना करोड़ों बच्चों की मौलिकता को नष्ट करना है। उनके आत्मविश्वास की जड़ों को हिला देना है। उनमें हीनता का भाव भर देना है। सबसे...
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